Stock Market Crash: शेयर बाजार की चाल भी इस मौसम की तरह हो गई है – कब बादल छा जाएं और कब धूप निकल आए, कोई नहीं जानता। आज, 12 जुलाई 2025 को, निवेशकों ने एक बार फिर बाजार के उतार-चढ़ाव को नज़दीक से महसूस किया। सेंसेक्स करीब 675 अंक टूटकर बंद हुआ, वहीं निफ्टी भी 25,200 के नीचे फिसल गया। आईटी, बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर पर बिकवाली का दबाव साफ दिखा।
बाजार में अचानक आई इस गिरावट ने निवेशकों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। कई लोगों ने अपने पोर्टफोलियो की वैल्यू कम होते देखी, तो कुछ अनुभवी निवेशक इसे लंबी अवधि के लिए एक खरीद का मौका मान रहे हैं। आखिर बाजार की ये चाल क्यों बदली? किन वजहों से निवेशक घबराए हुए हैं? और आगे की रणनीति क्या होनी चाहिए? चलिए, आज की इस रिपोर्ट में इन सब पहलुओं पर विस्तार से बात करते हैं।
1. stock market में आई तेज गिरावट
11 जुलाई को भारत के शेयर बाजार (stock market) में बड़े स्तर पर गिरावट देखने को मिली। बीएसई का सेंसेक्स करीब 675 अंक नीचे बंद हुआ और निफ्टी 25,200 के महत्वपूर्ण स्तर से टूटकर नीचे चला गया।
विश्लेषकों के अनुसार, यह गिरावट कई कारणों से प्रेरित थी:
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TCS जैसे बड़ी आईटी कंपनी के तिमाही नतीजे उम्मीद से कमजोर रहे, जिससे आईटी सेक्टर में दबाव बना।
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अमेरिका की ओर से लागू हुई नई टैक्स टैरिफ नीतियाँ, जिससे वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ी।
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विदेशी निवेशकों (FIIs) द्वारा निरंतर बिकवाली, और यूरोप‑अमेरिका समेत अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में गिरावट का असर।
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SEBI की अधिक कड़ी कार्रवाई ने भी बाज़ार धारणा को प्रभावित किया।
इस एक दिन की गिरावट से करीब ₹3.77 लाख करोड़ का निवेश डूब गया, जिससे निवेशकों में चिंता और नकारात्मक भावना बढ़ी।
सेक्टर | स्थिति | कारण |
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आईटी (IT) | दबाव में | TCS के कमजोर तिमाही नतीजों से सभी आईटी स्टॉक्स प्रभावित |
मीडिया, मनोरंजन | हल्का दबाव | घरेलू आर्थिक संकेतकों की कमजोरी |
वित्त (BFSI) | मिश्रित | नियामकीय तनाव और विदेशी निवेशकों की बिकवाली |
3. मुद्रा बाजार और विदेशी प्रवाह
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रुपये में गिरावट जारी है; अमेरिकी डॉलर के मुकाबले शुक्रवार को रुपये का अब्रेक लगभग ₹85.80 पर बंद हुआ।
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अमेरिकी ट्रेड नीतियों की अनिश्चितता और विदेशी निवेशकों की निकासी से रुपये पर दबाव बना हुआ है।
4. RBI की नई पहल – G‑Sec खरीद ऑफ़र
₹25,000 करोड़ कीमत की 3 सरकारी प्रतिभूतियों (G‑Securities) का बायबैक करने की तैयारी है। यह कदम केंद्रीय सरकार के कर्ज‑प्रबंधन रणनीति का हिस्सा है, जिससे तरलता को बेहतर करना और कर्ज बोझ को थोड़ा कम करना है।
इससे वित्तीय प्रणाली को लिक्विड बनाए रखने में मदद मिलेगी और ब्याज दरों पर नियंत्रण सहज होगा।
5. विशेषज्ञ सलाह – कब खरीदें, कब बेचें?
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विश्लेषकों की सलाह है कि फिलहाल थोड़ी सतर्क रणनीति अपनाएँ और दीर्घ‑काल (long-term) के दृष्टिकोण से निवेश करें।
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बाजार में सुधार ना दिखने पर प्रॉफिट बुकिंग (Profit Booking) करना विवेकी कदम हो सकता है।
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अगर विदेशी निवेश में स्थिरता लौटती है या ग्लोबल संकेत सकारात्मक होते हैं, तो बाजार में तेजी का रुख संभव है।
6. जल्द आने वाली घटनाओं पर नजर
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TCS और Tata Elxsi का Q1 FY26 नतीजे।
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Fed की अगली बैठक (July end, 2025) और उनमें संभावित ब्याज दर निर्णय।
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अमेरिका‑भारत व्यापार समझौता से जुड़ी घोषणाएँ।
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टैक्स या नियामकीय फैसलों से उत्पन्न हो सकने वाले लोकल/ग्लोबल जोखिम।
ये सब बाजार दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
7. हमारे पाठक—आपके लिए सुझाव
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टॉप‑अप — स्ट्रॉन्ग फंडामेंटल वाले स्टॉक्स की मौजूदा कीमत पर सोच‑समझकर खरीदें।
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सेक्टर्सपर भरोसा — रक्षा, ऊर्जा, धातु और रिटेल सेक्टर में दीर्घकालीन अवसर बने रहने की संभावना है।
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रिस्क प्लानिंग — उच्च जोखिम वाले निवेशकों के लिए डायवर्सिफिकेशन (diversification) जरूरी है।
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रियल‑टाइम अपडेट — global और domestic developments पर लगातार नजर बनाये रखें।
निष्कर्ष:
12 जुलाई 2025 तक भारतीय शेयर बाज़ार (stock market) में गिरावट और अस्थिरता का दौर है। IT और बैंकिंग सेक्टर पर खास ध्यान देना उचित होगा। मुनाफा सुरक्षित रखना और दीर्घ‑कालीन निवेश योजना को प्राथमिकता देने की सलाह बाजार विश्लेषकों द्वारा दी जा रही है।
मूल रूप से, यदि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता दूर हो जाती है और Fed के बयान अनुकूल रहते हैं, तो बाजार में सुधार और सकारात्मक रुख की संभावना अच्छी है। RBI के बायबैक कार्यक्रम और सरकारी नीतिगत समर्थन को भी एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा सकता है।
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Disclaimer: यह लेख सिर्फ जानकारी के लिए है। इसमें दी गई बातें कोई निवेश की सलाह नहीं हैं। शेयर बाजार में पैसे लगाने से पहले खुद सोचें‑समझें या अपने सलाहकार से बात करें। इस जानकारी से हुए किसी लाभ या हानि की जिम्मेदारी लेखक या वेबसाइट की नहीं होगी।
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