सितारे ज़मीन पर : बॉलीवुड सुपरस्टार आमिर खान एक बार फिर अपनी दमदार वापसी कर चुके हैं, और इस बार उन्होंने अपने फैंस के लिए लाया है एक ऐसी फिल्म जो सीधे दिल को छू जाती है। 2007 में आई उनकी आइकॉनिक फिल्म ‘तारे ज़मीन पर’ ने बच्चों की मानसिक स्थिति और शिक्षा व्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला था। अब साल 2025 में उसका एक आध्यात्मिक सीक्वल मानी जा रही ‘सितारे ज़मीन पर’ रिलीज हो चुकी है।
यह फिल्म कहानी ही नहीं है , बल्कि एक संवेदनशील सामाजिक संदेश को भी उजागर करती है, जो हर माता-पिता, शिक्षक और समाज के हर वर्ग को सोचने पर मजबूर करता है। फिल्म ‘सितारे ज़मीन पर’ 19 जून 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई और पहले ही दिन से इसने दर्शकों के दिल जितना शुरू कर दिया हैं।
‘सितारे जमीन पर’ की कहानी: हर बच्चा एक सितारा है
‘सितारे ज़मीन पर’ की कहानी एक ऐसे स्कूल और बच्चों के समूह के इर्द-गिर्द घूमती है, जिनमें कोई ना कोई सीखने या व्यवहारिक समस्या होती है। ये बच्चे समाज के नजरों में “कमज़ोर” या “अलग” माने जाते हैं, लेकिन इन बच्चों के भीतर छुपी होती है एक अलग चमक, एक खासियत – जो उन्हें बाकियों से अलग बनाती है।
फिल्म दिखाती है कि अगर बच्चों को समझने वाला एक सच्चा मार्गदर्शक मिल जाए तो वो न सिर्फ खुद में आत्मविश्वास महसूस कर सकते हैं, बल्कि समाज में मिसाल भी बन सकते हैं।
निर्देशन और अभिनय: आमिर का जादू आज भी बरकरार
इस फिल्म में आमिर खान ने सिर्फ अभिनय ही नहीं किया बल्कि उन्होंने इसे निर्देशित और प्रोड्यूस भी किया है। उनकी मेहनत हर सीन में झलकती है। अमीर की एक्टिंग आज भी दर्शको को अपनी और खींचती है और फिल्म को रोमांचक बना देती है आमिर का इस फिल्म में किरदार एक प्रेरणादायक शिक्षक का है जो इन बच्चों की दुनिया में रोशनी बनकर आता है।
फिल्म में कई नए बाल कलाकारों को मौका दिया गया है, जिनकी परफॉर्मेंस ने दर्शकों को भावुक कर दिया। हर किरदार को इस तरह से लिखा गया है कि आप उनसे जुड़ाव महसूस करते हैं।
फिल्म का मकसद और सामाजिक संदेश
‘सितारे ज़मीन पर’ सिर्फ एक एंटरटेनमेंट फिल्म नहीं है बल्कि ये फिल्म हमें बताती है कि हर बच्चा खास है। जरूरी नहीं कि हर कोई पढ़ाई में तेज़ हो, लेकिन हर किसी के अंदर कोई न कोई टैलेंट जरूर छुपा होता है। हमें जरूरत है उस प्रतिभा को पहचानने की, ना कि उसे दबाने की, इस फिल्म में ये बखूभी दिखाया गया है और प्रेणा का स्रोत भी है बच्चो और दर्शको के लिए।
इस फिल्म में डिसएबिलिटी, इमोशनल इंटेलिजेंस, मोटिवेशन और पैरेंटिंग जैसे विषयों को बहुत ही सधे हुए तरीके से पेश किया गया है।
सचिन तेंदुलकर का खास रिव्यू
फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद भारतीय क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने फिल्म को लेकर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा:
“फिल्म ”Sitare Zameen Par”बेहद इमोशनल है और बच्चों की दुनिया को बेहद संवेदनशील तरीके से दिखाती है। आमिर खान ने एक बार फिर साबित किया कि सिनेमा समाज बदलने की ताकत रखता है।”
सचिन के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर उत्साह और बढ़ गया।
बाल कलाकारों की जानदार परफॉर्मेंस
फिल्म में शामिल नए बाल कलाकारों ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया है। चाहे वो किसी चुनौती से जूझता बच्चा हो या अपनी पहचान खोजता छात्र – हर एक रोल में ईमानदारी और गहराई नज़र आती है। उनकी अदाकारी ही इस फिल्म की आत्मा है।
दर्शकों की प्रतिक्रिया
फिल्म रिलीज़ होते ही सोशल मीडिया पर #SitareZameenPar ट्रेंड करने लगा। लोग ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फिल्म के सीन शेयर कर रहे हैं और अपने रिएक्शन दे रहे हैं।
कुछ दर्शकों का कहना है:
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“फिल्म ने रुला दिया, लेकिन आंखों में उम्मीद भी भर दी।”
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“ऐसी फिल्म हर माता-पिता और शिक्षक को देखनी चाहिए।”
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“आमिर खान हमेशा कुछ अलग लाते हैं, और इस बार भी दिल जीत लिया।”
रिलीज़ और भाषा विकल्प
‘सितारे ज़मीन पर’ 19 जून 2025 को ऑल इंडिया लेवल पर रिलीज हुई इस फिल्म को हिंदी के अलावा तमिल, तेलुगु, मलयालम और बंगाली भाषाओं में भी रिलीज की गई है ताकि देश के हर कोने तक इसका मैसेज पहुंच सके।
निष्कर्ष
‘सितारे ज़मीन पर’ न सिर्फ एक फिल्म है, बल्कि यह एक भावना, एक सोच और एक सामाजिक बदलाव की पहल है। आमिर खान ने एक बार फिर सिनेमा के ज़रिए समाज को आईना दिखाया है और दर्शकों को भावनात्मक रूप से झकझोर कर रख दिया है।
अगर आप परिवार के साथ कोई ऐसी फिल्म देखना चाहते हैं जो मनोरंजन के साथ-साथ एक गहरा संदेश भी दे, तो ‘सितारे ज़मीन पर’ ज़रूर देखें। यह फिल्म आपको सोचने पर मजबूर करेगी, और शायद आपकी नजर बच्चों के प्रति और ज़्यादा संवेदनशील बना देगी।